Saturday, 1 August 2020

आदत डाल कर कहते हो..मज़बूरी को समझो ।हम कब से ख़ामोश बैठे हैं..अब तुम भी तो बेचैनी को समझो।।...इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बेहदअक्ल का बोझ उठा नहीं सकता ।

BY The Golden Note IN , No comments



... मैं भी ठहरूं किसी की होठों पर,
मेरे खातिर  कोई दुआ तो करे !!


#writing #poetry #shayari 
#love #feelingsad #innerthoughts 


Pic courtesy :Printrest



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@THE GOLDEN NOTE

आदत डाल कर कहते हो..
मज़बूरी को समझो ।
हम कब से ख़ामोश बैठे हैं..
अब तुम भी तो बेचैनी को समझो।।


...इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बेहद
अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता !!

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