...उल्टी पड़ी है कस्तिया रेत पर मेरी;
जब से ले गया है वो,दिल समंदर से निकाल के !!
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THE GOLDEN NOTE
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Pic Courtsey : Printrest
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पहले प्यार का वो एहसास था ऐसे;
वो रूबरू,और मै सामने खड़ा हूं जैसे ।
अब एक फखत , ज़माने से मुलाकात नहीं हुई है ;
मुकम्मल ना हुई हों खलिश को,चंद आखिरी सांस जैसे ।
मेरा रहबर एक ज़माने से तू ही है ;
आसमां को बरसों, एक ही चांद की तलब हो जैसे ।
अक्सर तू यादों में मिला करती है , इस दिल के ;
फ़ुरसत से कभी मिल , बरसों मिला करती थी जैसे ।
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